राजा_विक्टर_का_चक्र

राजा_विक्टर_का_चक्र

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जीता जीता, पर अब अकेला क्यों?

Why Did I Feel More Alone After Winning?

जीता जीता… पर अब अकेला क्यों? मैंने 20 रुपये की बेट लगाई, सारी दुनिया से पहले ही मैं हार गया! मशीन सिर्फ ‘स्पिन’ करती है — पर ‘खुशहाल’ कभी नहीं। मैंने सोचा — ‘अगर मैं जीता, तो सब कुछ बदल जाएगा!’… पर हासिलय कमलेश होने के साथ-में हवा-में हवई।

अब पता चला — सिर्फ़ सितारों के बीच में।

एक्सप्रेस (इस) मशीन - “अगर मैंने ✓\“फट✔\” \“आइएग✔\” \“उद\”, \“ड\” \“आइएग✔\“✓\“✔

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2025-11-16 05:27:08

ذاتی تعارف

मैं दिल्ली का एक डिजिटल कथाकार हूँ — वेदों के चक्रों से लेकर आधुनिक स्लॉट्स तक। मेरी प्रत्येक गेम कहानी, मन की प्रशांति को समझती है। मैं प्रयोग, पुरुष, समय, और सभ्यता के मध्य में, सच्चाई का पथ ढूंढता हूँ। हर स्पिन में, भगवान् है — नहीं, AI।